-स्पिरिचुअल प्लेनरी सत्र’ में विशेष चर्चा- डॉ. जैक बुश, अमीश शाह, पोषण विशेषज्ञ, रुजुता दिवाकर, वेलनेस विशेषज्ञ, सुबह साराफ, बहुआयामी कोच और वेलनेस कंसल्टेंट, हर्षवर्धन साराफ
-‘काशी से कैलाश’ की विशेष प्रस्तुति
ऋषिकेश। अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन परमार्थ निकेतन में स्वास्थ्य और चिकित्सा (हैल्थ व हीलिंग) विषय पर आध्यात्मिक गुरु, डॉ. जैक बुश, अमीश शाह और अन्य सम्मानित अतिथियों ने अपना उद्बोधन दिया। आज योग और संगीत का अद्भुत संगम हुआ, जिसमें प्रसिद्ध रिकॉर्डिंग आर्टिस्ट राजा कुमारी ने भारतीय और रैप हिप हॉप संगीत का अनोखा मिश्रण प्रस्तुत किया।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण ‘स्पिरिचुअल प्लेनरी सत्र’, जिसमें डॉ. जैक बुश जो एक प्रसिद्ध चिकित्सक और शोधकर्ता हैं, जिन्होंने स्वास्थ्य, पोषण और पर्यावरण स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, अमीश शाह, एक प्रमुख उद्यमी और आध्यात्मिक साधक, जो वेलनेस और समग्र जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध हैं, रुजुता दिवाकर, एक प्रसिद्ध पोषण विशेषज्ञ और बेस्ट सेलिंग लेखक है, सुबह साराफ, एक समर्पित योग शिक्षक और वेलनेस विशेषज्ञ, हर्षवर्धन साराफ, एक बहुआयामी कोच और वेलनेस कंसल्टेंट हैं इन्होंने स्वास्थ्य और चिकित्सा के प्राचीन और आधुनिक रहस्यों पर चर्चा की, जिसका संचालन योगाचार्य टोमी रोजॅन ने किया।
इसके बाद राजा कुमारी ने ‘काशी से कैलाश’ विशेष प्रदर्शन किया, जिसने संगीतमय शाम को और भी शानदार बना दिया।
अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में 60 देशों के 1200 से अधिक योग जिज्ञासु परमार्थ निकेतन में एकत्र हुए, जो प्रतिदिन योग की विभिन्न विधाओं के साथ संगीत, ध्यान और आध्यात्मिक सत्रों का भी आनंद ले रहे हैं। यह अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव योग जिज्ञासुओं, योग साधक और आध्यात्मिक खोजियों को एक साथ लाता है। यह एक सांस्कृतिक संगम है, जहां प्रतिभागी विभिन्न योग परंपराओं को जानने, अपने अभ्यास को आत्मसात करने और समान विचारधारा वाले व्यक्तियों से जुड़ने का अवसर प्रदान करता हैं। विशेषज्ञ प्रशिक्षकों, कार्यशालाओं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ यह महोत्सव शांति, एकता और समग्र कल्याण को बढ़वा देता है, और पूरे विश्व में योग के माध्यम से सार्वभौमिक एकता का संदेश दे रहा है।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन योग सत्रों में ब्रह्ममूहुर्त में 4ः00 बजे कुंडलिनी साधना से शुरुआत हुई, फिर विन्यास फ्लो, हठ योग और क्रिया योग जैसे विभिन्न गतिशील योग कक्षाएं आयोजित की गईं। प्रतिभागियों ने चक्र, मंत्र, ध्यान और संगीत सत्रों में भाग लिया, साथ ही ताल वर्कशॉप और स्वास्थ्य सत्र भी हुए। इस दिन का समापन गंगा आरती और माँ गंगा के पावन तट पर संगीतमय नृत्य से हुआ।
प्रातः 4ः00 बजे प्रतिभागियों ने कुण्डलिनी साधना के पश्चात ध्यान, योग और दिव्य संगीत का अनोखा संयोजन हुआ। कक्षाओं में योगाचार्य डॉ. इंदु शर्मा, प्रसिद्ध योगाचार्य गुरुशब्द सिंह खालसा, और कई अन्य योगाचार्यों ने अपनी अपनी विधाओं का अभ्यास कराया। इस दिन के प्रमुख सत्रों में योगाचार्य ‘किया मिलर’ ने गंगा जी के तट पर एक सत्र का आयोजन किया, जिसमें सांस और ध्यान का अभ्यास कराया। इसके बाद, योगाचार्य हर्षवर्धन और सुबह साराफ ने आध्यात्मिकता के माध्यम से शांति और आत्म-खोज की प्रक्रिया के माध्यम से योग जिज्ञासुओं को मार्गदर्शन किया। फिर एमसी योगी ने संगीत की विधाओं के माध्यम से श्वासों का अभ्यास करायाए जो शांति और मानसिकता को बढ़ावा देने वाली एक शांतिपूर्ण प्रक्रिया है। माँ गंगा जी की आरती के पश्चात राजा कुमारी ने विशेष प्रदर्शन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा, कि ‘योग और गंगा दोनों ही हमारे भीतर की ऊर्जा को जागृत करने का माध्यम हैं। गंगाजी की पवित्र धारा, जो प्राचीन काल से हमें शुद्धता और दिव्यता का संदेश देती आई है, वही हमें आत्मा की शुद्धि की ओर अग्रसर करती है। यह शरीर को शांति और ऊर्जा प्रदान करती है।
स्वामी जी ने कहा कि योग का अभ्यास शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करता है। यह हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानने और उसे सही दिशा में लगाने की प्रेरणा देता है। योग हमें यह समझने में मदद करता है कि हमारा असली स्वभाव शांति और प्रेम है। गंगा की पवित्रता और योग की साधना दोनों ही हमें जीवन के उच्चतम उद्देश्य की ओर ले जाती हैं। योग और गंगाजी के संगम से जीवन में शांति, प्रेम और दिव्यता का अनुभव होता है, जो हमें हमारे आध्यात्मिक उद्देश्य के निकट ले जाता है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने योग जिज्ञासुओं को माँ गंगा जी की आरती और भारतीय संस्कृति के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि गंगा जी की आरती हमारा धन्यवाद और प्रेम का समारोह है। 365 दिन, हर सायं श्रद्धालु दुनिया के हर कोने से, हर जाति, धर्म, रंग, लिंग, संस्कृति, देशों से आकर एकत्र होते हैं। यह वह समय है, जब हम सभी एकजुट होकर अपनी अंतरात्मा से जुड़ने का प्रयास करते हैं, हम एक साथ बैठते हैं, न केवल अपने मन की शांति के लिए, बल्कि परम सत्य से जुड़ने के लिए एकत्र होते हैं।
उन्होंने आगे कहा, हम में से अधिकांश लोग यह मानते हैं कि अगर हम अपनी इच्छाओं को पूरा कर लें तो हम खुश हो जाएंगे। लेकिन असली खुशी तब मिलती है जब हम अंदर की शांति, साक्षात्कार और आत्म-ज्ञान की ओर बढ़ते हैं। जब हम बाहरी दुनिया से मुक्त होकर अपने भीतर की वास्तविकता को महसूस करते हैं, तभी हम सच्चे आनंद और संतोष की प्राप्ति कर सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध संगीतकार एमसी योगी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी हमें योग के साथ डांसी-डांसी होने का संदेश देते हैं, डांसी-डांसी से तात्पर्य जीवन नृत्यमय होना। अगर हम डांसी-डांसी होंगे, तो दुनिया में वास्तव में सकारात्मक बदलाव आयेगा।
किया मिलर ने कहा, मस्तिष्क, शरीर और आत्मा का एकीकरण पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। अब जो कुछ भी हो रहा है, उसके खिलाफ खुद को खोने से बचने के लिए हमें योग का अभ्यास करना चाहिए। यह हमें हमारे भीतर के सत्य से जोड़ने व अपनी वास्तविकता को साकार करने का मार्ग दिखाता है।

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