*महाकुम्भ प्रयागराज के दिव्य अवसर पर परमार्थ निकेतन शिविर, परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, शौक्षणिक व जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन*

*भारत का गौवरशाली इतिहास, साहित्य, कला, नारी सशक्तिकरण पर विशद् चर्चा*

*भारतीय टेलीविजन और फिल्म उद्योग की प्रमुख निर्माता, निर्देशक और लेखिका, प्रसिद्ध एकता कपूर, अभिनेता पंकज त्रिपाठी, प्रसिद्ध विदुषी, रमा वैद्यनाथन, मिथिलेश नंदिनी जी, प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना, पद्म विभूषण डॉक्टर सोनल मानसिंह, पद्मश्री प्रतिभा पहलाद आदि अनेक विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति व उद्बोधन*

*हिंदी, भोजपुरी, और अवधी संगीत की प्रसिद्ध गायिका मलिनी अवस्थी के संयोजन में तीन दिवसीय विद्वत कुम्भ का सफलतापूर्वक समापन*

*भारत की विद्वत परम्परा का अमृतस्नान*

*भारत के पूज्य संतों और मनीषियों का पावन सान्निध्य*

*भारत सहित विश्व के कई देशों के श्रद्धालुओं ने किया सनातन संस्कृति व ज्ञान परम्परा में अभिषेक*

महाकुम्भ। महाकुम्भ प्रयागराज के अभूतपूर्व अवसर पर परमार्थ निकेतन शिविर और त्रिवेणी पुष्प में आयोजित, धर्म, संस्कृति, साहित्य, कला, नारी सशक्तिकरण और सामाजिक जागरूकता से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन प्रतिदिन किया जा रहा है। तीन दिवसीय विद्वत महाकुम्भ न केवल भारत, बल्कि विश्व भर से आयी विभूतियों, संतों, विद्वानों, और श्रद्धालुओं के लिए एक दिव्य और ऐतिहासिक अनुभव रहा।

परमार्थ निकेतन, सोनचिरैया और प्रज्ञा प्रवाह के संयुक्त तत्वाधान में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य और प्रसिद्ध गायिका मलिनी अवस्थी जी की गरिमामयी उपस्थिति में भारतीय टेलीविजन और फिल्म उद्योग की प्रमुख निर्माता, निर्देशक और लेखिका, एकता कपूर, अभिनेता पंकज त्रिपाठी, प्रसिद्ध विदुषी, रमा वैद्यनाथन, मिथिलेश नंदिनी जी, प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना, पद्म विभूषण डॉक्टर सोनल मानसिंह, पद्मश्री प्रतिभा पहलाद आदि अनेक विभूतियों ने सहभाग कर उद्बोधन दिया।

इस आयोजन में भारत की प्रतिष्ठित विभूतियों और मनीषियों ने भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म, और जीवन के गूढ़ प्रश्नों पर अपनी अमूल्य वाणियाँ दीं। साथ ही सामाजिक समरसता, नारी सशक्तिकरण, और भारत के गौरवशाली इतिहास को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि तीन दिवसीय विद्वत कुम्भ भारत की विद्वत परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का अमृतस्नान है। यह भारतीय संस्कृति और सभ्यता का एक अभूतपूर्व उत्सव है, जो सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है और यह भारत की प्राचीन विद्वत परंपरा का जीवंत उदाहरण है। इस तरह के कार्यक्रमों से भारत के ज्ञान, संस्कृति, और धर्म के विविध पहलुओं का दर्शन हम सभी कर सकते हैं।

स्वामी जी ने कहा कि हमें भारतीय दर्शन और भारतीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना होगा। विद्वत कुम्भ भारतीय समाज की एकता, विविधता और समृद्ध विरासत का प्रतीक है, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समय-समय पर जीवित और प्रासंगिक बनाए रखता है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि भारत की विद्वत परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर विश्वभर में अद्वितीय है। यह परंपरा न केवल धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से समृद्ध है, बल्कि भारतीय जीवन शैली, कला, साहित्य, संगीत, और विज्ञान के क्षेत्र में भी अत्यंत योगदानशील रही है। भारतीय वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण और पुराणों में ज्ञान की गहरी परंपरा समाहित है, जिनसे मानवता को जीवन के उद्देश्य, धर्म, नैतिकता और सत्य का संदेश प्राप्त होता है।

विद्वत महाकुम्भ के इस तीन दिवसीय आयोजन में भारतीय टेलीविजन और फिल्म उद्योग की प्रमुख निर्माता, निर्देशक, और लेखिका एकता कपूर का विशेष योगदान रहा। उन्होंने अपने वक्तव्य में भारतीय समाज और संस्कृति की महत्वपूर्ण धरोहर के रूप में फिल्म और टेलीविजन के माध्यम से भारतीय जीवन शैली और मान्यताओं को कैसे प्रदर्शित किया जा सकता है, इस पर गहरी चर्चा की।

पंकज त्रिपाठी जी ने विद्वत महाकुम्भ के मंच से अपने विचार साझा करते हुये कहा कि भारतीय समाज में संस्कृति और मानवीय मूल्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

भारत की प्रसिद्ध विदुषी रमा वैद्यनाथन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की समृद्ध परंपरा पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह बताया कि वर्तमान समय में भारतीय कला और संस्कृति को संजोने और उसका प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इन सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित कर सकें।

मिथिलेश नंदिनी जी और डॉक्टर सोनल मानसिंह जैसे विभूतियों ने भारतीय साहित्य और कला के महत्व को समझाया। डॉक्टर सोनल मानसिंह, ने नृत्य और कला के माध्यम से नारी शक्ति और सशक्तिकरण की बात की। उन्होंने यह भी कहा कि नृत्य कला न केवल शारीरिक अभिव्यक्ति का रूप है, बल्कि यह एक मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का भी माध्यम है। उनका यह संदेश महिलाओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनने की प्रेरणा देता है।

पद्मश्री प्रतिभा पहलाद ने भी नारी सशक्तिकरण और भारतीय कला के महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय कला को बढ़ावा देने और उसे वैश्विक मंच पर स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में भारत के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और साहित्य पर विस्तार से चर्चा की गई। विभिन्न विद्वानों और विशेषज्ञों ने भारतीय सभ्यता के अद्भुत योगदानों को बताया, जिसमें भारतीय राजनीति, समाज, दर्शन, और विज्ञान का योगदान विशेष रूप से उभरा। इस सत्र में भारतीय संस्कृति के विविध पहलुओं का विस्तार से अवलोकन किया गया।

प्रसिद्ध गायिका मलिनी अवस्थी ने अपनी मीठी आवाज और संगीत के जादू से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने लोक संगीत की महिमा और उसकी सामाजिक भूमिका पर अपने विचार प्रस्तुत किए, और किस प्रकार संगीत लोगों के दिलों को जोड़ता है और सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है, इस पर प्रकाश डाला।

विद्वत महाकुम्भ के समापन अवसर पर परमार्थ त्रिवेणी पुष्प प्रांगण में रूद्राक्ष के पौधे का रोपण कर हरित उत्सव का संदेश दिया।

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