मुकद्दस रमजान के महीने में एक ऐसी रात भी है, जिसे अल्लाह ने इबादत के लिए हजार रातों से बेहतर बनाया है। इस रात को शब-ए-कद्र की रात कहते हैं। मुकद्दस रमजान के महीने अल्लाह की रहमत, बरकत बंदों पर बरसती है।शब ए कद्र की यह रात रमजान के 21, 23, 25 व 27 की रात में से कोई एक होती है। शब ए कद्र में ही अल्लाह ने कुरआन ए पाक नाज़िल किया था। इसलिए इस रात को खासतौर पर इबादत वाली रात मानी जाती है। शब ए कद्र की कौन सी रात होती है, इसका स्पष्ट इशारा नहीं दिया गया। इतना जरूर बताया गया है कि इस रात की दुआ को अल्लाह जरूर कबूल फरमाते हैं। इन रातों को जितना हो सके, इबादत करनी चाहिए। रमजान की इन रातों के महत्व को देखकर बहुत से लोग शब-ए-कद्र से पहले ही एतकाफ यानी एकांत साधना में चले जाते हैं और ईद के चांद देखने के बाद ही बाहर आते हैं। हदीस में बयान है कि एतकाफ पर जाने वालों के जरिए अल्लाह पूरी आबादी के लिए रहमत के दरवाजे खोला देता है। उनकी दुआ से पूरी आबादी के गुनाह माफ हो जाते हैं।

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