ऋषिकेश। श्री गीता आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी स्वतंत्र आनंद सरस्वती संस्थापक आनंद आश्रम हरिद्वार का 52 वां पुण्यतिथि कार्यक्रम श्रद्धा-भक्ति पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर आश्रम की नवनिर्मित यज्ञशाला में वैदिक यज्ञ, गीता पाठ एवं श्रद्धांजलि कार्यक्रम संपन्न हुआ। यज्ञ आचार्य स्वामी भक्तानंद सरस्वती के आचार्यत्व में वैदिक यज्ञ कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर महंत स्वामी सर्वात्मानंद सरस्वती ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी स्वतंत्रानंद जी के जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। स्वामी जी ने अपना उत्तराधिकारी ब्रह्मलीन योगीराज स्वामी शान्तानंद सरस्वती को बनाया। स्वामी जी बड़े कर्म योगी और धर्म प्रचारक थे। संतों का जीवन परोपकार के लिए होता है। गीता आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी वेदव्यासानंद सरस्वती से उनका मित्रवत संबंध था। संतो के जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। समाजसेवी इंद्रप्रकाश अग्रवाल एवं स्वामी भक्त आनंद जी ब्रह्मलीन स्वामी जी को पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन भानु मित्र शर्मा ने किया। इससे पूर्व आश्रम में गीता पाठ संपन्न हुआ। उपस्थित विशेष महानुभावों में श्रीमती प्रमिला शाह ट्रस्टी, श्रीमती सुलोचना लखानी, विमला देवी, अशोक शर्मा, श्रीमती दया जोशी, प्रेम प्रसाद उपाध्याय, नीरज शास्त्री, सुरेश जी, गीता चैतन्य, राकेश शर्मा, राजेंद्र शर्मा, एवं आश्रमवासी उपस्थित थे। कार्यक्रम पूर्णाहुति प्रसाद वितरण के साथ संपन्न हुआ।

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