*परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमार और विश्व के विभिन्न देशों से परमार्थ निकेतन योग की शिक्षा ग्रहण करने आये योग जिज्ञासुओं ने पुष्पवर्षा कर माननीय मंत्री जी का अभिनन्दन किया*

*महाकुम्भ प्रयागराज में सहभाग हेतु विशेष आमंत्रण*

*हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट*

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में भारत सरकार के माननीय न्याय और कानून मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल जी का आगमन हुआ। परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमार और विश्व के विभिन्न देशों से परमार्थ निकेतन योग की शिक्षा ग्रहण करने आये योग जिज्ञासुओं ने पुष्पवर्षा कर माननीय मंत्री जी का अभिनन्दन किया। विभिन्न रंगों के पुष्पों से विभिन्न देशों से आये योग जिज्ञासुओं ने माननीय मंत्री जी का स्वागत कर वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश दिया। स्वामी जी ने कहा कि यह विभिन्न तरह के पुष्पों की तरह विभिन्न संस्कृतियों का गुलदस्ता है।

परमार्थ निकेतन के पवित्र परिसर में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और माननीय कानून मंत्री श्री मेघवाल जी की विभिन्न समसामयिक विषयों पर गहन चर्चा हुई। इस बैठक में समाज के विभिन्न आयामों जैसे न्याय, कानून, पर्यावरण संरक्षण, और आध्यात्मिकता पर गहन चर्चा हुई।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने वर्तमान समय में न्याय और कानून की भूमिका पर अपने विचार साझा करते हुये कहा कि कैसे इन विषयों को आध्यात्मिकता के साथ जोड़कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है, इस पर भी विचार किया गया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आगामी महाकुम्भ मेला, प्रयागराज में सहभाग हेतु श्री अर्जुन राम मेघवाल जी को आमंत्रित करते हुये कहा कि महाकुम्भ मेला भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का एक महान पर्व है इसमें सहभागिता अपने आप में गर्व का विषय है। यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को विश्व पटल पर प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत की भूमि ने अनगिनत महान व्यक्तित्वों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपने योगदान से समाज और राष्ट्र की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन महान विभूतियों ने भारतीय संस्कृति, परंपरा और विचारधाराओं को जीवंत बना रखा हैं।

स्वामी जी ने कहा कि न्याय और कानून की बात करें तो यह समाज में सामंजस्य और व्यवस्था बनाए रखने का मुख्य साधन है। एक पारदर्शी और सुदृढ़ न्याय प्रणाली समाज को निष्पक्षता और समानता की ओर अग्रसर करती है। कानून का पालन समाज की स्थिरता और विकास के लिए अनिवार्य है।

स्वामी जी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण भी एक महत्वपूर्ण आयाम है, जो हमारे अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है। पर्यावरण की देखभाल और संरक्षण हमारे भविष्य की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। वनों की कटाई, प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग के कारण हमारा पर्यावरण संकट में है, और इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है इसलिये पर्यावरण न्याय की नितांत आवश्यकता है ताकि हम अपने समाज को एक न्यायपूर्ण, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और आध्यात्मिकता से समृद्ध बना सकते हैं।

श्री अर्जुन राम मेघवाल जी की जीवन यात्रा भारतीय संस्कृति और संस्कारों का जीवंत प्रतीक है, जो वर्तमान पीढ़ी को नैतिकता, कर्तव्यपरायणता और समर्पण का संदेश देती है। उन्होंने अपने जीवन में भारतीय संस्कृति और संस्कारों का पालन हमेशा प्रमुख स्थान दिया है।

श्री अर्जुन राम मेघवाल जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी का जीवन और कार्य हमें यह सिखाते हैं कि कैसे भारतीय संस्कृति और संस्कारों का पालन कर समाज और राष्ट्र की उन्नति में योगदान दिया जा सकता है। उनका जीवन प्रेरणादायक है और हमें उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। वे भारतीय संस्कृति और संस्कारों के एक जीवंत प्रतीक हैं, जिनके कार्यों और नीतियों से समाज को नई दिशा मिलती है।

योग जिज्ञासुओं ने कहा कि हम सभी अलग-अलग देशों से आये हैं परन्तु 15 दिनों से हम यहां वेदमंत्रों की शिक्षा ग्रहण कर रहे है। यहां के वातावरण, संस्कार व संस्कृति ने हम सभी को अत्यंत प्रभावित किया है। मानों हमारा जीवन ही बदल गया है। भारतीय परिधान, परिवेश, पकवान सब कुछ अद्भुत है।

योग जिज्ञासुओं ने माननीय मंत्री जी, पूज्य संतों, स्वच्छता कर्मियों और ऋषिकुमारों सभी को भोजन परोसा। उन्होंने वेदमंत्रों का उच्चारण भी किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री अर्जुन राम मेघवाल जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट करते हुये कहा कि यह प्रकृति के प्रति सम्मान, सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed