*💐आओ दीपावली का दीया बने! स्वयं जले और दूसरों को रोशन करे*
*✨स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य, उद्बोधन और आशीर्वाद*
*💥आचार्य श्री चन्द्रमोहन दास जी के श्रीमुख से लाखानी परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा*
*💐इस दीपावली आईये हम समाज के उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश करे जो किसी न किसी कारणवश अंधकार में जी रहे हैं*
’*✨एक रहेंगे; नेक रहेंगे; न बंटेंगे न बाटेंगे’*
*🙏🏻स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश, 30 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन में लाखानी परिवार द्वारा दिव्य श्रीमद् भागवत का आयोजन किया गया। कथा के साथ पूरा लाखानी परिवार परमार्थ निकेतन के दिव्य, आध्यात्मिक वातावरण का आनंद ले रहे हैं। लाखानी परिवार के बड़े, छोटे बच्चे व युवा सभी को परमार्थ निकेतन गंगा तट पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने एक होकर रहने ’एक रहेंगे; नेक रहेंगे; न बंटेंगे न बाटेंगे’ का संकल्प कराया। स्वामी जी ने कहा कि आज इसी की आवश्यकता है कि सभी मिल कर रहे, एकता व एकजूटता के साथ रहे और समाज में समरसता, सद्भाव बनाये रखे।
स्वामी जी ने कहा कि गुजरात की धरती भी अद्भुत धरती है। लोगों में श्रद्धा, प्रेम व आस्था कूट-कूट कर भरी हुई है। गंगा के पावन तट पर गुजरात से आये श्रद्धालु दीपावली के अवसर पर परमार्थ गंगा तट पर श्रद्धा, आस्था व प्रेम के दीप जला रहे हैं।
श्रीमद् भागवत कथा जीवन को आध्यात्मिक दिशा और मार्गदर्शन प्रदान करती है। श्रीमद् भागवत कथा न केवल प्रभु के जीवन, उनकी लीलाओं, और उनके उपदेशों का संकलन है बल्कि वह हमारे जीवन का आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त करती है। कथा के श्रवण मात्र से व्यक्ति को आत्मिक शांति, भक्ति, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
आज दीपावली के दिन श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव हुआ, सैकड़ों-सैकड़ों लोगों ने जिस उत्साह व आनंद से जन्मोत्सव मनाया वह दृश्य अद्भुत है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आओ दीपावली का दीया बने! स्वयं जले और दूसरों को रोशन करे। हम अपने जीवन में ऐसे कार्य करे जो न केवल हमें बल्कि हमारे आसपास के लोगों को भी रोशन करें, उन्हें प्रेरित करें, और उनका जीवन भी खुशियों से भर दें।
स्वयं जलना अर्थात आत्म-समर्पण और आत्म-प्रकाशित होना। यह हमें सिखाता है कि हमें अपनी कमियों, अहंम, डर और नकारात्मकताओं से ऊपर उठकर आत्मा का प्रकाश जागृत करना होगा जैसे एक दीया जलकर अंधकार को मिटाता है, वैसे ही हमें अपने जीवन में ज्ञान, सत्य और धर्म का पालन करते हुये समाज से अज्ञान और अधर्म को मिटाना होगा।
उन्होंने कहा कि जब हम स्वयं प्रकाशित होते हैं, तो हमारे चारों ओर के लोग भी उस प्रकाश से आनंदित होते हैं इसलिये हमें अपने ज्ञान, अनुभव और प्रेम को दूसरों के साथ साझा करना होगा। जैसे एक जलते हुए दीये से अनेक दीये जलाए जा सकते हैं, वैसे ही हमें अपने प्रकाश और सकारात्मकता से दूसरों को भी प्रकाशित करना होगा।
दीये केवल हमारे घरों और आसपास के स्थानों को ही रोशन नहीं करते बल्कि हमारे मन और आत्मा को भी प्रकाशित करते है। इस दीपावली आईये हम समाज के उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश करे जो किसी न किसी कारणवश अंधकार में जी रहे हैं। हमें उनकी मदद करने के लिए आगे आना होगा ताकि उनके जीवन में रोशनी की किरणें आये।
दीपावली के इस पवित्र पर्व पर, आइए हम सभी मिलकर अपने जीवन को और दूसरों के जीवन को रोशन करें। स्वयं जले और दूसरों के जीवन को रोशन करें। यही दीपावली का सच्चा संदेश और असली आनंद है।
आचार्य श्री चन्द्रमोहन दास जी ने श्रीमद् भागवत कथा का अद्भुत और सरल भाषा में वर्णन किया। उनकी वाणी में एक विशेष प्रकार का आकर्षण और भक्ति का भाव हैं, जिसने सभी श्रोताओं के हृदय में भक्ति की भावना को जागृत कर दिया। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का ऐसा दिव्य वर्णन किया कि हर व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो गया।
उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के साथ परमार्थ निकेतन माँ गंगा का पावन तट, सुन्दर व सात्विक वातावरण और पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य हम सभी को प्राप्त हो रहा है, इससे सुन्दर दीपावली और कही हो ही नहीं सकती।
इस अवसर पर श्री छगन भाई, अशोक भाई, प्रविण भाई, हर्षा बेन, आशा बेन, भावना बेन और लाखानी परिवार के अन्य सभी सदस्य उपस्थित रहे।