ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में भारत में संयुक्त राज्य अमेरिका के 25वें राजदूत एवं वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रबंधन और संसाधन उप सचिव श्री रिचर्ड वर्मा, धर्मपत्नी पिंकी वर्मा, बच्चे लूसी वर्मा, ज़ो वर्मा, डयलन वर्मा और बहनें लक्की, रीटा व रोमा ने परमार्थ निकेतन परिसर में पूज्य संतों, ऋषिकुमारों और निराश्रितों को भंडारा खिलाया।

परमार्थ निकेतन का दिव्य, अद्भुत, आध्यात्मिक वातावरण, विभिन्न, धार्मिक, आध्यात्मिक गतिविधियाँ, वैश्विक स्तर के सेवा कार्य, विश्व शान्ति, सद्भाव व स्वच्छता को समर्पित कार्यो को देखकर पूरा वर्मा परिवार अत्यंत प्रभावित हुआ।

श्री रिचर्ड वर्मा ने बताया कि उनके पिता के मृत्यु के पश्चात पूरा परिवार एक साथ परमार्थ निकेतन आया है। सभी ने मिलकर पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद लेकर माँ गंगा का पूजन-अर्चन किया। उन्होंने बताया कि आज से 45 वर्ष पूर्व, नौ वर्ष की अवस्था में पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। तब से वे स्वामी जी के कार्यो, विचारों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से अत्यंत प्रभावित हैं। उन्होंने इस अवसर पर अमेरिका में पूज्य स्वामी जी द्वारा निर्मित हिन्दू-जैन टेम्पल का जिक्र करते हुये कहा कि स्वामी ने पूरे विश्व को एकता, सद्भाव और समरसता का संदेश उस मन्दिर के माध्यम से दिया। मैं उन्हें विगत 45 वर्षों से जानता हूँ। जब भी मिलता हूँ वे अपने विचारों व कार्यों से हमें स्तब्ध कर देते हैं।

अभी स्वामी जी के मार्गदर्शन में दिव्यांग मुक्त भारत, दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड, वल्र्ड टाॅयलेट काॅलेज के माध्यम से स्वच्छता का महासंकल्प, भारत सहित अन्य देशों की नदियों, पहाड़ों, पौधों, संस्कृति व संस्कारों के लिये अद्भुत कार्य सम्पन्न हो रहे हैं।

डॉ. कमल वर्मा का निधन मार्च 2024 में वाशिंगटन, डी.सी. में 91 वर्ष की अवस्था में हुआ। डॉ. वर्मा ने पेंसिल्वेनिया में जॉन्सटाउन (यूपीजे) में पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में 42 वर्षों तक पढ़ाया और सेवानिवृत्ति के बाद भी प्रोफेसर एमेरिटस और विश्वविद्यालय अध्यक्ष के सलाहकार के रूप में काम जारी रखा। उनका पूरा जीवन और कार्य भारतीय साहित्य और संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने दक्षिण एशियाई साहित्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई साहित्यिक पत्रिकाओं और संकलनों का संपादन किया

डॉ. वर्मा का जीवन और कार्य भारतीय साहित्य और संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में देखा जाता है। उनके कार्यों ने न केवल साहित्यिक जगत में बल्कि शिक्षा और शोध के क्षेत्र में भी गहरा प्रभाव डाला है। वे केवल लेखक, अंग्रेजी के प्रतिष्ठित प्रोफेसर ही नहीं बल्कि विद्वान भी थे। उन्होंने महर्षि अरविंदों और उनके द्वारा रचित ग्रंथों पर बहुत ही गहराई से कार्य किया। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय साहित्य और संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया। वे एक प्रेरणादायक शिक्षक और मार्गदर्शक थे।

स्वामी जी ने बताया कि आज से 45 वर्ष पूर्व जब वे अमेरिका गये थे तब डा कमल वर्मा जी व उनका परिवार बड़े ही भक्ति भाव से मिला और हमेशा के लिये जुड़ गये। उनकी पांच संतानों में रिचर्ड वर्मा सबसे छोटे थे। तब से ही उनकी रूचि भारत की संस्कृति और साहित्य में थी वही संस्कार उन्होंने अपने तीनों बच्चों लूसी वर्मा, ज़ो वर्मा और डयलन वर्मा को भी दिये हैं। डा कमल वर्मा जी अंग्रेजी के प्रतिष्ठित प्रोफेसर थे उन्होंने हिन्दू धर्म विश्वकोश के संपादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।

स्वामी जी ने कहा कि डॉ. कमल वर्मा का जीवन और कार्य भारतीय साहित्य और संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। उनके कार्यों ने न केवल साहित्यिक जगत में बल्कि शिक्षा और शोध के क्षेत्र में भी विलक्षण परिवर्तन किया।

प्रातः कालीन विश्व शान्ति यज्ञ और विशाल भंडारा उन्हें समर्पित किया। पूरे वर्मा परिवार ने मिलकर उनकी आत्मा की शान्ति के लिये माँ गंगा के तट पर विशेष पूजा-अर्चना तथा गंगा जी की आरती की।

 

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