*पिट्सबर्ग, पेंसिल्वेनिया स्थित हिंदू जैन मंदिर के दिव्य व भव्य 45 वें वार्षिक समारोह के आयोजन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी करेंगे सहभाग*

*पिट्सबर्ग, पेंसिल्वेनिया स्थित हिंदू जैन मंदिर धार्मिक, आध्यात्मिकता, मानवीय, सांस्कृतिक, शैक्षिक संसाधन, सद्भाव व समरसता का अद्भुत केन्द्र*

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी अमेरिका, कनाडा और जर्मनी की यात्रा के लिये रवाना हुये। उन्होंने परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और परमार्थ परिवार को श्रावण माह में पौधा रोपण करने और श्री कृष्ण-सुदामा की तरह मैत्री भाव से रहने का संदेश देकर परमार्थ निकेतन से विदा ली।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी यूनाइटेड नेशन्स में पूज्य मोरारी बापू के श्री मुख से हो रही मानस वसुधैव कुटुम्बकम् कथा में भी सहभाग करेंगे। तत्पश्चात स्वामी जी पिट्सबर्ग, पेंसिल्वेनिया स्थित हिंदू जैन मंदिर के दिव्य व भव्य 45 वें वार्षिक समारोह में भी सहभाग करेंगे। अमेरिका में पीट्सबर्ग में स्थित हिन्दू जैन टेम्पल एक दिव्य और ऐतिहासिक स्थल है, जिसे पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने 45 वर्ष पहले स्थापित किया था।    यह टेम्पल दो अलग-अलग धर्मों की परंपराओं और देवताओं का विश्व का पहला मंदिर है। अमेरिका ही नहीं वैश्विक स्तर पर पहली बार हिन्दू और जैन धर्म के अनुयायी एक साथ मिलकर अपनी पूजा पद्धतियों को मिलकर करते हैं। स्वामीजी ने मन्दिर की स्थापना के समय पौधा रोपण कर प्रकृति संरक्षण का संदेश देते हुये कहा कि अगर हम दुनिया में बदलाव लाना चाहते हैं तो हमें युवा पीढ़ी के विचारों को बदलना होगा। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में पूरे विश्व में वैचारिक प्रदूषण चरम पर है। वैचारिक प्रदूषण को दूर करने के लिये विशेष कर युवाओं को अपनी जड़ों, मूल्यों, मूल और संस्कृति से जोड़ना होगा।

आज अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि व्यक्तियों, समुदायों, देशों और संस्कृतियों के बीच शांति, एकता और आपसी समझ को बढ़ावा देना आज के दिन का उद्देश्य है। मित्रता एक ऐसा बंधन है जो व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर सामाजिक संबंधों को मजबूत कर एक सहिष्णु समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज का दिन हमें वैश्विक स्तर पर विविधताओं को स्वीकार करने और एकता को बढ़ावा देने का संदेश देता है।

स्वामी जी ने कहा कि यूनाइटेड नेशन्स में आयोजित पूज्य मोरारी बापू जी की मानस कथा पूरे विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी तथा एक सामंजस्यपूर्ण दुनिया को बढ़ावा देने हेतु एक शक्तिशाली अनुस्मारक का कार्य करेगी जिससे अधिक समावेशी और शांतिपूर्ण भविष्य को आकार दिया जा सकता है।

मानस वसुधैव कुटृम्बकम् कथा विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं को एकजुट करने तथा सामंजस्यपूर्ण व्यवहार को बढ़ावा देने में नींव के पत्थर की तरह कार्य करेंगी।

 

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