ऋषिकेश। हिमालय दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत का मस्तक हिमालय, न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और साहित्य की दृष्टि से भी विशेष स्थान रखता है।    

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को विवेकानंद यूथ कनेक्ट फाउंडेशन द्वारा हिमालय दिवस के अवसर पर ‘‘हिमालय के लिए अभिनव समाधान’’-सतत विकास के लिए अत्याधुनिक विचारों और प्रौद्योगिकियों पर चितंन-मंथन हेतु आयोजित आॅनलाइन संगोष्ठि में मुख्य अतिथि के रूप में विशेष रूप से आमंत्रित किया। इस अवसर पर स्वामी जी ने प्रेरणादायी उद्बोधन दिया।

हिमालय की महानता, स्थिरता, प्राकृतिक सुंदरता के साथ सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। दुनिया की किसी भी पर्वत श्रृंखला में समाज को जीवन, साहस और समृद्धि प्रदान करने की शक्ति नहीं है, जितनी हिमालय के पास है। हिमालय का संबंध भारत से ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा से है। हिमालय ने भारतीय मूल्यों को अपने में सहेज कर रखा है अब हमें हिमालय के प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक विरासत को संजो कर रखना होगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हिमालय है तो हम हैं, और हिमालय है तो गंगा है। हिमालय हमारा स्पिरिचुअल लैण्ड है और स्विटरजरलैंड भी है। हिमालय, भारत की जलवायु को नियंत्रित करता है। यह मानसून की हवाओं को रोकता है और देश में वर्षा लाता है। इसके बिना, भारत एक रेगिस्तान की तरह भी हो सकता है।

स्वामी जी ने कहा कि हिमालय, भारत की उत्तरी सीमा की रक्षा करता है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र जैसी देश की प्रमुख नदियाँ हिमालय से निकलती हैं। ये नदियाँ भारत के विशाल हिस्से को जल प्रदान करती हैं और कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं। हिमालय की बर्फीली चोटियाँ और ग्लेशियर इन नदियों का स्रोत हैं, जो पूरे वर्ष जल प्रवाह बनाए रखते हैं। ये नदियाँ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनके तटों पर कई महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल स्थित हैं। हिमालय की पवित्रता और उसकी धार्मिक महत्ता ने इसे विश्वभर के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया है। हिमालय की सांस्कृतिक धरोहर और उसकी परंपराएँ भी विश्वभर के लोगों को आकर्षित करती हैं।

हिमालय के जंगलों में अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पाए जाते हैं। यह क्षेत्र औषधीय पौधों का भी भंडार है। हिमालय के जंगलों में पाए जाने वाले औषधीय पौधे आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। हिमालय के जंगल जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हिमालय, पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, ट्रेकिंग, पर्वतारोहण और धार्मिक स्थल पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। हिमालय की बर्फीली चोटियाँ, हरे-भरे जंगल और शांत झीलें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। हिमालय में स्थित धार्मिक स्थल, जैसे कि कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील, विश्वभर के लोगों के लिए आस्था का केंद्र हैं।

हिमालय में विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता पाई जाती है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है। हिमालय में पाए जाने वाले औषधीय पौधों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर किए गए अनुसंधान ने चिकित्सा विज्ञान में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हिमालय का शुद्ध और प्रदूषण-मुक्त वातावरण औषधीय पौधों की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करता है। प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण इन पौधों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

स्वामी जी ने कहा कि हिमालय स्वस्थ तो भारत मस्त इसलिये हिमालय का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग और प्रदूषण, हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाल रहे हैं। हमें मिलकर हिमालय का संरक्षण करना होगा ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ को भी इस देवात्मा हिमालय के दर्शन हो सके।

हिमालय दिवस 2024 के अवसर पर, आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम हिमालय के संरक्षण के लिये सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे, पर्व व त्यौहारों के अवसर पर पौधों का रोपण करेेंगे, हरित कथा व सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भंडारों का आयोजन करेंगे और हिमालय के महत्व को समझेंगे क्योंकि हिमालय का संरक्षण न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है।

विवेकानंद यूथ कनेक्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष व संस्थापक डॉ. राजेश द्वारा आयोजित इस संगोष्ठि में श्री तन्मय चक्रवर्ती, श्री राजशेखर जोशी, श्री प्रदीप सांगवान, श्री दिवेश रावत, पर्यावरण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य विशिष्ट गणमान्य विभूतियों ने सहभाग कर अपने प्रेरणादायी विचार प्रस्तुत किये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed